गांधी की डगर चलकर क्लर्क से राष्ट्रपति बने मंडेला

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Mandela President Following Gandhi

– जन्म दिवस –

दि लीडर : पांच दिसंबर. ये तारीख बेहद खास है. खासकर भारत और भारतीयों के लिए. आज दक्षिण अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला (Nelson Mandela) का आज जन्मदिन  है. वे 18 जुलाई 1918 को जन्मे. वही, नेल्सन मंडेला, जो महात्मा गांधी (Gandhi) की डगर पर चलकर दक्षिण अफ्रीका के दूसरे गांधी कहलाए. उनके जीवन का सबसे दिलचस्प और प्रेरणादायक प्रसंग 27 साल की कैद का है, जिसे उन्होंने जेल में बिताया. उन पर देशद्रोह का मुकदमा भी चला. इन सब झंझावतों के बीच रंगभेद के विरुद्ध उनका अहिंसक संघर्ष जारी रहा. 10 मई 1994 को इसे परास्त करके मंडेला दक्षिण अफ्रीका के राष्ट्रपति (President) बने. 1990 में भारत ने उन्हें अपने सर्वोच्च-सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया. Mandela President Following Gandhi

आज, जब हम-नेल्सन मंडेला को याद कर रहे हैं. इस वक्त में उनकी प्रासंगिकता और बढ़ी हुई महसूस होती है. इसलिए क्योंकि, जिस रंगभेद के खिलाफ 127 साल पहले 7 जून 1893 में महात्मा गांधी ने दक्षिण अफ्रीका में संघर्ष छेड़ा था. तब-जब उन्हें गोरे अंग्रेज अधिकारियों ने डरबन से प्रीटोरिया जाते वक्त ट्रेन से धक्के मारकर उतार दिया था. गांधी के बाद मंडेला रंगभेद विरोध के प्रतीक बने.

दो अलग-अलग समय में दुनिया की दो मशहूर शख्सियतों ने इसके विरुद्ध लंबा संघर्ष किया. इसके बावजूद क्या रंगभेद को लेकर समाज के नजरिये में कोई व्यापक बदलाव नजर आता है? ये प्रश्न तो उठता ही, है? खासकर तब-जब दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश-अमेरिका ने हाल में इसकी ताप महसूस की हो.

अमेरिका में जॉर्ज फ्लॉयड की हत्या के बाद जारी ब्लैक लाइव्स मैटर-अभियान की फाइल फोटो-साभार, ट्वीटर.


इसे देखें : जॉर्ज फ्लॉयड बने-ब्लैक लाइव्स मैटर के प्रतीक


-निसंदेह, अमेरिका न सिर्फ सबसे समृद्ध है, बल्कि मजबूत लोकतंत्र का स्वयंभू भी है. उसी अमेरिका में बीती 25 मई 2020 को जॉर्ज फ्लॉयड नामक अफ्रीकी-अमेरिकन नागरिक की एक पुलिस अधिकारी द्वार बर्बरतापूर्वक हत्या कर दी जाती है. इसके विरोध में ब्लैक लाइव्स मैटर-आंदोलन उभरता है. अमेरिका की सड़कें प्रदर्शन और पुलिसिया दमन की गवाह बनतीं हैं.

आंदोलन और आक्रोश का दायरा इस कारण भी व्यापक हो जाता है, क्योंकि हत्या करने वाला एक गोरा अमेरिकन पुलिस अधिकारी होता. जॉर्ज की खता बस इतनी सी थी कि सामान के बदले में दुकानदार को उन्होंने जो डॉलर दिए. वो उन्हें नकली समझ बैठा और पुलिस बुला ली. इस पर जॉर्ज ने पुलिस की गाड़ी में बैठने से इन्कार किया. तैश में आए पुलिस अधिकारी ने जॉर्ज को सड़क पर पटक दिया.

ठीक नौ मिनट तक वो जॉर्ज की गर्दन को अपने घुटनों से दबाए रहा. इस तरह जॉर्ज की मौत हुई. फिर प्रश्न उठता है कि जब अमेरिका जैसे विकसित-समृद्ध और लोकतांत्रिक देश में रंगभेद का ये आलम है, तो दुनियां के बाकी हिस्सों की स्थिति आसानी से समझी जा सकती है. खैर, जब-जब विश्व के किसी हिस्से में अमानवीयता की ऐसी बर्बर घटनाएं घटित होती रहेंगी. तब-तब मंडेला की प्रासंगिकता महसूस की जाएगी.

12 साल की उम्र में पिता का निधन

नेल्सन मंडेला,18 जुलाई 1918 को अफ्रीका के म्बेजो में गेडला हेनरी और म्फाकेनिस्बा के घर जन्में थे. 12 साल की उम्र में पिता की मृत्यु हो गई. यहीं से मंडेला के संघर्ष का आगाज हुआ. उस वक्त अफ्रीका में रंगभेद चरम पर था. अफ्रीकी नेशनल कांग्रेस इसके खिलाफ अभियान छेड़े थी. इससे प्रभावित होकर 1944 में वे कांग्रेस से जुड़ गए. इसके सशस्त्र गुट उमखोंतो-वे-सिजवे के अध्यक्ष भी रहे. साल 1961 में उन पर देशद्रोह का मुकदमा चला, जिसमें वो निर्दोष साबित हुए.

परिवार पालने को क्लर्क की नौकरी

-पिता की मौत के बाद आर्थिक हालात अच्छे नहीं थे.1941 में मंडेला ने जोहन्सबर्ग की एक लॉ फर्म में क्लर्क की नौकरी की. बाद में एक अन्य लॉ फर्म में वकील की हैसियत से नौकरी के दौरान भी उन्हें रंगभेद का सामना करना पड़ा.

दक्षिण अफ्रीका के रॉबेन द्वीव स्थित स्थित जेल की इसी कोठरी में पूर्व राष्ट्रपति नेल्सन मंडेला ने अपने जीवन के 27 साल गुजारे. फोटो-साभार, ट्वीटर.

हड़ताल के उकसावे के आरोप 27 साल की सजा

-समान नागरिक अधिकार के पैरोकार मंडेला को 5 अगस्त 1962 को मजदूरों को हड़ताल के लिए उकसाने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया. मुकदमा चला. 12 जुलाई 1965 को उन्हें आजीवन कैद की सजा सुनाई गई. मंडेला ने रॉबेन द्वीप की जेल में 27 साल गुजारे. 11 फरवरी 1990 को उन्हें रिहाई मिली. शांति-समझौते के माध्यम से उन्होंने एक लोकतांत्रिक अफ्रीका की बुनियाद रखी. 1997 में वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गए. 5 दिसंबर 2013 को 95 साल की उम्र में जोहन्सबर्ग में उनका निधन हो गया

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